![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhsoI5r_nQV5JDBaHsnkaULNsTR8jp1H8o81tkmhDg1bC5srP_3xyX77h_OOJEMYmzSjouT1sDz-ZiyippOShs1CAX8b9Z_gCqi4afQTFW6OoajLJw3Rue_I9MCchLYjTqjejDnx4AqJA/s320/thagla-1.jpg)
3 अक्टूबर को अत्यधिक सतर्कता बरतने वाले लेफ्टिनेंट जनरल उमराव सिंह को पूर्वी क्षेत्र के कोर कमाण्डर पद से हटा दिया गया और उनके स्थान पर जनरल बी.एम.कौल को कोर कमाण्डर बना दिया गया जो नेहरू और कृष्ण मेनन के विश्वासपात्र थे। जनरल कौल को कई या सम्भवतः 12 सैन्य अधिकारियों की वरिष्ठता को नजरअंदाज करते हुए प्रमोशन दिया गया था। कौल के पास लड़ाइयों का कोई अनुभव नहीं था। कौल ने अव्यावहारिक तरीका अपनाते हुए और अन्य सैन्य कमाण्डरों की सलाह को अनदेखा करते हुए,ढोला और थागला पर कब्जा करने के लिए दो बटालियनों को मैदानी इलाके से ऊपर बुला लिया।