Friday, September 2, 2016

गंगा मइया की कृपा हो गयी

पंचों,

चारों तरफ बाढ़ आयी है। सुनते हैं कि सब कुछ बहा गया। घर दुआर,आदमी,गाइ–भंइस,गाड़ी–बस वगैरा वगैरा। और तो और टीवी पर देखा कि मध्य प्रदेश में एगो जेसीबियो बहा गया। पहाड़ पर तो मानो आफते आ गयी है। सब औकात में आ गये। पर पंचों,हम तो ठहरे बांगर के आदमी। अपने यहां दू चार गो चिंउटा–चिंउटी,कीरा–बिच्छी,मूस–मुसरी बहाते तो हमने भी देखा है पर इतना कुछ बहाते हमने नहीं देखा था। उधर बिहार में तो लालू जी ने एकदम सच्ची बात कह दी। गंगा मइया खुश हैं सो चौके तक में आ गयीं। अहोभाग्य बिहार के लोगों का। पर अपनी तो किस्मते खराब है। दू–चार बीघा धान रोपे हैं उ भी सूख रहा है। हे गंगा मइया,हमसे का गलती हो गयी। मत आती हमारे चौके तक,खेत में ही आ जाती। अपने बच्चों में ऐसा भेद क्यों करती हो। बनारस में सारे घाटों को बराबर कर दिया। ना कोई छोटा ना कोई बड़ा। सबका महत्व बराबर। पर क्या कहें इस बुरबक पब्लिक को,बात का बतंगड़ बना देती है। बरखा होती है तो कहती है कि भगवान बरस रहे हैं और गंगा मइया दुआरे पर आईं हैं तो कहती है कि बाढ़ आ गयी।
उधर उत्तराखण्ड वाले भी महा बेवकूफे हैं। तीन साल पहले अलकनंदा मइया ने केदारनाथ में महती कृपा की थी। बाबा केदारनाथ भी ठहरे औघड़दानी। सोचा कि क्यों सबको अपने पास बुलायें। सब परेशान होंगे। सो मइया से कहा कि मेरा घर भले छोड़ दाे लेकिन बाकी सबके चौके में जरूर पहुंचो। मइया ने आदेश का पालन किया। मगर उत्तराखण्ड वाले हैं कि बात का भेद समझते ही नहीं। दुनिया भर की हायतौबा मचाई। पंचों,देखा देखी धरम,देखा देखी पाप। इसके अगले साल यानी आज से दो साल पहले झेलम मइया को मन किया तो कश्मीर वालों पर कृपा कर दी। टीवी वाले बताये कि श्रीनगर में मइया घर–घर तक पहुंच गयी। लो भाई,काहें तुम कम रहोगे,तुम भी पंच बराबर हो जाआे। लेकिन वहां भी वही हाल। सारा दोष मइया पर ही निकाल दिया। लोग हैं कि हमेशा निगेटिव ही सोचते हैं। खैर पंचों,अगला साल भी खाली नहीं गया। लेकिन इस बार मामला थोड़ा अलग रहा। इस बार धरती मइया ने हमारे पड़ोसी नेपाल पर कृपा की। सुनते हैं कि वहां ऊंचे–ऊंचे राजभवन और बड़े–बड़े मन्दिर हैं। लेकिन धरती मइया का मन थोड़ा सा डोला तो सबको जमीन पर लाकर बराबर कर दिया। और लोग हैं कि कहते हैं कि तबाही मच गयी। इन सब मुद्दों पर हमारे लालू जी से कोई सलाह लेता ही नहीं।

तो पंचों घबराने की कोई बात नहीं। इस बार दया दिखाने का नम्बर हमारी गंगा मइया का था। सो दिखा दिया। अगली बार कहीं और का नम्बर होगा। इ तो चलता ही रहेगा। इसमें कौन सी बड़ी बात है। हां इतना जरूर है कि हमारी सोच उल्टी नहीं होनी चाहिए। हमें लालू जी से कुछ तो सीखना ही चाहिए। तो पंचों,अब हमारी इस छोटी सी पंचायत के उठने का समय हो गया। बाकी अगले दिन। देखते हैं अगली बार किस मइया की कहां पर कृपा होती है।

राम राम पंचों

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