Friday, November 1, 2019

भारत–एक परिचय

विष्णु पुराण के अनुसार–
उत्तरं यत्समुद्रस्य हिमाद्रेश्चैव दक्षिणम्।
वर्षं तद्भारतं नाम,भारती यत्र सन्ततिः।।
अर्थात जो समुद्र के उत्तर तथा हिमालय के दक्षिण में स्थित है,वह देश भारतवर्ष कहलाता है। उसमें भरत की सन्तानें बसी हुई हैं।
भारत संभवतः उतना ही प्राचीन देश है जितनी कि स्वयं मानव सभ्यता। इसकी सभ्यता और संस्कृति 5000 वर्ष से भी अधिक प्राचीन है। जहाँ तक नामकरण का प्रश्न है,आर्याें द्वारा सर्वप्रथम पंजाब के क्षेत्र में अपना प्रभुत्व स्थापित कर इसका नाम "सप्त सैन्धव" रखा गया। इसके पश्चात पूरब की ओर अपना प्रभुत्व विस्तार करके,गंगा–यमुना के मध्य भाग को उन्होंने "ब्रह्मर्षि देश" कहा।
कालान्तर में हिमालय और विन्ध्य पर्वत के मध्य के भू–भाग पर आर्याें का विस्तार हुआ। इस भू–भाग को "आर्यावर्त" नाम दिया गया। बाद में दक्षिण की ओर भी उनका विस्तार हुआ और इसका नाम "दक्षिणापथ" रखा गया। पुराणों के अनुसार जिन क्षेत्रों में वैदिक आर्य संस्कृति का प्रचार–प्रसार हुआ,उसे ही "भारतवर्ष" कहा जाता है। वस्तुतः भारतवर्ष नाम का उपयोग उन क्षेत्रों के लिए हुआ जो आर्याें का निवास स्थल था। परन्तु बाद में इसका प्रयोग हिमालय से लेकर दक्षिणी समुद्र तक फैले हुए भू–भाग के लिए होने लगा। मारकण्डेय एवं वायु पुराण के अनुसार,मनु के परवर्ती वंशज ऋषभ के पुत्र भरत के नाम पर इस देश का नाम भारत पड़ा। एक मत के अनुसार यह भी माना जाता है कि सप्त सैन्धव प्रदेश में निवास करने वाले आर्याें के पाँच जनों यथा– भरत,तृसु,अणु,द्रह्यु और यदु में से भरत नामक जन सर्वाधिक प्रभावशाली था उसने अन्य प्रदेशों में अपना प्रभुत्व स्थापित किया। अतः इस जन के नाम पर इस देश का नाम भारत पड़ा।
वैदिक काल में आर्याें की भरत नाम की शाखा ने अनार्याें और आर्याें के दूसरे समुदायों या कुलों पर अपना प्रभुत्व स्थापित कर लिया। इसी शाखा के नाम पर प्राचीन काल से ही इस देश का नाम भारतवर्ष पड़ा। वैदिक आर्याें ने उत्तर–पश्चिम की ओर बहने वाली नदी को "सिन्धु" कहकर पुकारा। बाद में ईरानियों ने इसे ही "हिन्दू" नदी की संज्ञा दी और सिन्धु (हिन्दू) नदी के उस पार में विस्तृत इस देश को "हिन्दुस्तान" कहा गया। यूनानियों ने इसी नदी को "इण्डोस" (Indos) और रोम निवासियों ने "इण्डस" (Indus) तथा इस देश को इसी आधार पर "इण्डिया" कहा। भारतीय संविधान में इस देश को "भारत" नाम दिया गया।

पाश्चात्य विद्वानों ने भारत को उपमहाद्वीप की संज्ञा दी है। इसके पक्ष में कई तर्क दिये जाते हैं। जैसे कि भारत का क्षेत्रफल और जनसंख्या दोनों ही विशाल है। भारत में जितनी भौतिक,मानवीय तथा सांस्कृतिक विविधताएं
पायी जाती हैं,कदाचित विश्व में अन्यत्र दुर्लभ हैं। इन्हीं कारणों से अंग्रेज विद्वानों ने भारत को विशाल देश मानते हुए उपमहाद्वीप कहा। वैसे इस मान्यता का आधार कूटनीतिक था,जिसके कारण अंग्रेजों ने देश को खण्डित करके अपना स्वार्थ सिद्ध किया।

भारत एक विशाल देश है। क्षेत्रफल की दृष्टि से इसका विश्व में सातवाँ स्थान है। भारत से अधिक क्षेत्रफल वाले देश विश्व में क्रमशः रूस,कनाडा,सं0 रा0 अमेरिका,चीन,ब्राजील और आस्ट्रेलिया हैं। स्वतंत्रता के पूर्व भारत का क्षेत्रफल 42,14,751 वर्ग किलोमीटर था जो बँटवारे के फलस्वरूप घट कर 32,87,263 वर्ग किलोमीटर हो गया। इसमें भी 78,114 वर्ग किलोमीटर का क्षेत्र अवैध रूप से पाकिस्तान के कब्जे में है जबकि 43,180 वर्ग किलोमीटर का हिस्सा अवैध रूप से चीन के कब्जे में है। चीन द्वारा कब्जाए गये क्षेत्र में से 38,000 वर्ग किलोमीटर का अक्साई चिन का हिस्सा चीन द्वारा 1962 में कब्जा किया गया जबकि 5,180 वर्ग किलोमीटर का हिस्सा 2 मार्च 1963 को पाकिस्तान द्वारा चीन को हस्तान्तरित किया गया।

भारत की मुख्य भूमि का उत्तर–दक्षिण विस्तार 8 अंश 4 मिनट उत्तरी अक्षांश से लेकर 37 अंश 6 मिनट उत्तरी अक्षांश तक है। इसी तरह पूर्व–पश्चिम विस्तार 68 अंश 7 मिनट पूर्वी देशान्तर से लेकर 97 अंश 25 मिनट पूर्वी देशान्तर तक है। इस तरह इसका कुल अक्षांशीय विस्तार 29 अंश 2 मिनट तथा कुल देशान्तरीय विस्तार 29 अंश 18 मिनट है। वैसे भारत का सबसे दक्षिणी बिन्दु अण्डमान एवं निकोबार द्वीप समूह में स्थित "पिग्मेलियन प्वाइंट" या "इन्दिरा प्वाइंट" है जो 6 अंश 30 मिनट उत्तरी अक्षांश पर स्थित है। कर्क रेखा अर्थात 23.5 अंश उत्तरी अक्षांश भारत के लगभग मध्य से गुजरती है। भारत के बड़े देशान्तरीय विस्तार के परिणामस्वरूप पूर्वी और पश्चिमी छोरों के समय में लगभग 2 घण्टे का अन्तर हो जाता है। फिर भी पूरे देश में समय की एकरूपता बनाए रखने के लिए 82.5 अंश देशान्तर के स्थानीय समय को देश का मानक समय माना गया है। यह देशान्तर रेखा प्रयागराज के पास नैनी और उज्जैन से होकर गुजरती है। इससे पूरब और पश्चिम प्रति देशान्तर 4 मिनट का अन्तर रहता है। भारत की मुख्य भूमि का सर्वाधिक दक्षिणी भाग अर्थात कुमारी अन्तरीप विषुवत रेखा या भूमध्य रेखा से केवल 876 किलोमीटर दूरी पर स्थित है।

भारत की उत्तर–दक्षिण की लम्बाई 3214 किलोमीटर तथा पूर्व–पश्चिम की चौड़ाई 2933 किलोमीटर है। भारत की स्थलीय सीमा की लम्बाई 15200 किलोमीटर तथा मुख्य भूमि की समुद्री सीमा की लम्बाई 6100 किलोमीटर है। अण्डमान–निकोबार और लक्षद्वीप सहित इसकी समुद्री सीमा की कुल लम्बाई 7516.6 किलोमीटर है। भारत अपनी स्थलीय सीमा में से बांग्लादेश के साथ 4096.7 किलाेमीटर,चीन के साथ 3917 किलोमीटर,पाकिस्तान के साथ 3310 किलोमीटर,नेपाल के साथ 1752 किलोमीटर,नेपाल के साथ 1458 किलोमीटर,भूटान के साथ 587 किलोमीटर तथा अफगानिस्तान के साथ 80 किलोमीटर की सीमाएँ साझा करता है। श्रीलंका भारत का सबसे निकटवर्ती द्वीपीय देश है जिसे मन्नार की खाड़ी तथा पाक जलडमरूमध्य भारत से विलग करते हैं। इण्डोनेशिया का सुमात्रा द्वीप अण्डमान–निकोबार द्वीप समूह के सर्वाधिक निकट है। भारत और पाकिस्तान के मध्य रैडक्लिफ रेखा सीमा निर्धारित करती है जबकि भारत–चीन के बीच मैकमहोन रेखा (Macmahon Line) सीमा का निर्धारण करती है। 
भारत के उत्तर में नेपाल,भूटान,तिब्बत और चीन भारत के पड़ोसी हैं। पूरब में बांग्लादेश व म्यानमार तथा उत्तर–पश्चिम में पाकिस्तान अवस्थित हैं। दक्षिण में श्रीलंका एक द्वीपीय पड़ोसी देश है। भारत की समुद्री सीमा पर दक्षिण–पश्चिम में अरब सागर,दक्षिण–पूर्व में बंगाल की खाड़ी और दक्षिण में हिन्द महासागर की अवस्थिति है।

भारत के उत्तरी भाग में काराकोरम श्रेणी में स्थित के–2 या गाडविन–आस्टिन (8611 मीटर) भारत की सबसे ऊँची चोटी है जो माउण्ट एवरेस्ट (8848 मीटर) के बाद विश्व की दूसरी सबसे ऊँची चोटी है। लेकिन वर्तमान में यह पाक अधिकृत कश्मीर में अवस्थित है। 8586 मीटर ऊँचा कंचनजंघा सिक्किम और नेपाल की सीमा पर अवस्थित है। पूरी तरह से भारत में अवस्थित सबसे ऊँची चोटी नंदादेवी (7817 मीटर) है जो उत्तराखण्ड में स्थित है।

15 अगस्त सन 1947 को वर्तमान का भारत अस्तित्व में आया। मुस्लिम लीग की माँग के फलस्वरूप मुस्लिम जनसंख्या की बहुलता वाले उत्तरी–पश्चिमी सीमान्त प्रान्त,पश्चिमी पंजाब,सिन्ध और पूर्वी बंगाल पाकिस्तान को हस्तान्तरित कर दिये गये। पश्चिम वाले भागों को पश्चिमी पाकिस्तान और पूर्व के पूर्वी बंगाल को पूर्वी पाकिस्तान नाम दिया गया। बाद में गहरा सांस्कृतिक और राजनीतिक मतभेद होने के कारण 1971 में पूर्वी पाकिस्तान के स्थान पर बांग्लादेश का जन्म हुआ। 26 जनवरी सन 1950 को भारत में लोकतन्त्रीय गणराज्य की स्थापना के साथ ही भारत का नया संविधान लागू हुआ और भारत का राज्यों का संघ (Union of States) माना गया। विभाजन के समय देश में 552,विभिन्न आकार–प्रकार की रियासतें थीं। स्वतंत्रता प्राप्ति के समय सरदार वल्लभभाई पटेल के प्रयासों से देश का पुनर्गठन हुआ। 216 राज्यों का विलय करके विभिन्न प्रान्त बनाये गये,61 राज्यों को मिलाकर 7 केन्द्र शासित प्रदेश बने तथा 275 छोटे राज्यों को राजस्थान,मध्य प्रदेश,केरल आदि राज्यों में मिला दिया गया। इस तरह स्वतंत्र भारत के पुनर्गठन के पश्चात प्रथम चरण में,देश में राज्यों के 4 वर्ग थे–
1. 'अ' वर्ग– इसमें उत्तर प्रदेश,बिहार,प0 बंगाल,असम,उड़ीसा,मध्य प्रदेश,मद्रास (वर्तमान तमिलनाडु),बम्बई (वर्तमान महाराष्ट्र) राज्य थे जाे राज्यपाल द्वारा शासित थे।
2. 'ब' वर्ग– इसके अन्तर्गत पेप्सू (PEPSU– Patiala and east Punjab states union अर्थात पटियाला और पूर्वी पंजाब राज्य संघ),मध्य भारत (वर्तमान मध्य प्रदेश),मैसूर (वर्तमान कर्नाटक),सौराष्ट्र,राज्स्थान,हैदराबाद तथा ट्रावनकोर–कोचीन राज्यों पर राज्य–प्रमुखों का शासन था।
3. 'स' वर्ग– इसके अन्तर्गत अजमेर,कुर्ग,कच्छ,दिल्ली,भोपाल,बिलासपुर,त्रिपुरा,हिमाचल प्रदेश,मणिपुर एवं विन्ध्य प्रदेश राज्य थे जिनका शासन लेफ्टिनेण्ट गवर्नर संचालित करता था।
4. 'द' वर्ग– इसके अन्तर्गत अण्डमान और निकोबार द्वीप समूहों का शासन केन्द्र सरकार द्वारा चलाया जाता था।
1 अक्टूबर 1953 को तत्कालीन मद्रास राज्य के उत्तरी तेलगू भाषी क्षेत्रों को अलग करके आन्ध्र प्रदेश राज्य की स्थापना की गयी।
उक्त तरीके से राज्यों के विभाजन में अनेक समस्याएँ थीं। अतः दिसम्बर 1953 में राज्य पुनर्गठन आयोग का गठन किया गया। इस आयोग के सुझाव पर,1 नवम्बर 1956 को दो प्रकार के राज्य बनाये गये और 15 राज्यों तथा 7 केन्द्र शासित प्रदेशों का गठन किया गया। 1 मई 1960 को बम्बई राज्य को विभाजित करके महाराष्ट्र और गुजरात राज्यों की स्थापना की गयी। 1 दिसम्बर 1963 को नागा लोगों की माँग पर असम से अलग कर नागालैण्ड राज्य की स्थापना की गयी। 18 दिसम्बर 1961 को पुर्तगालियों पर सैनिक कार्यवाही के द्वारा गोआ,दमन और दीव को केन्द्र शासित प्रदेश बनाया गया। 1 नवम्बर 1966 को अकालियों की माँग पर पंजाब के हिन्दी भाषी क्षेत्रों को अलग कर हरियाणा की स्थापना की गयी तथा पहाड़ी जिले हिमाचल प्रदेश को सौंप दिये गये। 29 जनवरी 1970 को केन्द्र शासित प्रदेश चण्डीगढ़ को पंजाब को देने के बदले में अबोहर नगर,फिरोजपुर जिले के 114 गाँव,फाजिल्का तहसील तथा फाजिल्का को हरियाणा से मिलाते हुए राजस्थान के कुछ क्षेत्र हरियाणा को दिये गये। 2 अप्रैल 1970 को गारो,खासी तथा जैन्तिया पहाड़ी क्षेत्रों को असम से अलग कर मेघालय राज्य बनाया गया। 20 जनवरी 1972 को पूर्वाेत्तर भारत के राज्यों के पुनर्गठन के द्वारा मेघालय,त्रिपुरा,मणिपुर और नागालैण्ड को पूर्ण राज्य का दर्जा प्रदान किया गया। अरूणाचल प्रदेश और मिजोरम केन्द्र शासित प्रदेश बनाये गये। 26 अप्रैल 1975 को भारत द्वारा संरक्षित राज्य सिक्किम को भारत के 22वें राज्य के रूप में मान्यता दी गयी। 25 जून 1986 को मिजोरम को पूर्ण राज्य का दर्जा दिया गया। 8 दिसम्बर 1986 को अरूणाचल को पूर्ण राज्य का दर्जा दिया गया। 11 मई 1987 को गोआ को दमन और दीव से अलग करके पूर्ण राज्य का दर्जा दिया गया। नवम्बर 2000 में उत्तर प्रदेश,मध्य प्रदेश और बिहार का पुनर्गठन किया गया। इस क्रम में 1 नवम्बर को छत्तीसगढ़,9 नवम्बर को उत्तरांचल और 15 नवम्बर को झारखण्ड राज्यों की स्थापना की गयी। 2 जून 2014 को आन्ध्र प्रदेश राज्य को विभाजित करके तेलंगाना राज्य की स्थापना की गयी। 5 अगस्त 2019 को धारा 370 की समाप्ति के साथ ही जम्मू और कश्मीर राज्य की पुरानी स्थिति में परिवर्तन हो गया। साथ ही इसी वर्ष 31 अक्टूबर को जम्मू–कश्मीर और लद्दाख नामक दो केन्द्र शासित प्रदेश अस्तित्व में आ गये। वर्तमान भारत आज इसी रूप में है।


अन्य सम्बन्धित विवरण–

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