Friday, March 29, 2019

बालाजी दर्शन

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हमारी यात्रा का अगला चरण था रात के 11.55 बजे चेन्नई सेंट्रल से मुम्बई मेल द्वारा तिरूपति के पास रेनीगुंटा पहुँचना। लेकिन उसके पहले एयरपोर्ट से चेन्नई सेंट्रल स्टेशन पहुँचकर पेट–पूजा करनी थी। क्योंकि जितनी देर प्लेन चलता रहा,हर समय मुँह चलाने वाली भेड़–बकरियों का मुँह बन्द ही रहा। तो अब हमने मेट्रो की सहायता ली और 70 रूपये का किराया चुकाकर चेन्नई एयरपोर्ट से चेन्नई सेंट्रल पहुँच गये। मेट्रो 7.50 पर हवाई अड्डे से चलकर 8.30 पर चेन्नई सेन्ट्रल पहुँची। मेट्रो ट्रेन भी हमारे स्वागत के लिए खुले दिल से तैयार बैठी थी क्योंकि इसकी दो तिहाई से भी अधिक सीटें खाली थीं।

Friday, March 22, 2019

जब मैं उड़ चला

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घूमने की चाहत तो बचपन से ही खून में समायी हुई है लेकिन हवा में परवाज़ की ख़्वाहिश भी मन में कहीं न कहीं जरूर दबी हुई थी। सो मौका पाते ही किसी आज़ाद परिंदे की भाँति,एक दिन पंख फड़फड़ाते हुए खुले आसमान में निकल पड़ा। मौका था फरवरी के महीने में दक्षिण भारत के कुछ प्रसिद्ध स्थानों की यात्रा का। प्लानिंग तो बहुत पहले ही हो चुकी थी क्योंकि कुछ मित्रों ने काफी दबाव बना रखा था। तय हुआ था कि तिरूमला के बालाजी के दर्शन किये जाएंगे। दूरी काफी बैठ रही थी। जाँच पड़ताल की गयी तो पता चला कि कम से कम चार दिन तो केवल ट्रेन को ही समर्पित करने पड़ेंगे।

Friday, March 15, 2019

विश्व विरासत शहर–अहमदाबाद (दूसरा भाग)

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भद्र किले से 10 मिनट से कुछ कम की ही पैदल दूरी पर सीदी सैयद मस्जिद बनी हुई है। मैं रास्ता पूछता हुआ वहाँ पहुँच गया। सीदी सैयद की मस्जिद में बनी जालियां काफी प्रसिद्ध हैं। सीदी सैयद की मस्जिद एक छोटी सी इमारत है। लेकिन इसके खम्भे और इसकी दीवारों में बनी जालियाँ सर्वाधिक दर्शनीय हैं। मैं जब यहाँ पहुँचा तो इन जालियों का कद्रदान कोई नहीं था। एक मौलवी साहब मस्जिद में सफाई कर रहे थे।
सीदी सैयद की मस्जिद का निर्माण 1572 में सीदी सैयद नामक एक अबीसिनियन (वर्तमान इथियोपिया) मूल के एक व्यक्ति द्वारा कराया गया था।

Friday, March 8, 2019

विश्व विरासत शहर–अहमदाबाद (पहला भाग)

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अहमदाबाद या फिर पूरे गुजरात का इतिहास सामान्यतः 10वीं सदी के पूर्वार्द्ध तक कन्नौज के गुर्जर प्रतिहार शासकों से जुड़ा हुआ रहा है। 10वीं सदी में राष्ट्रकूट शासक इन्द्र तृतीय ने गुर्जर प्रतिहार शासक महिपाल को पराजित कर दिया। केन्द्रीय शासन कमजोर पड़ गया और इस समय गुजरात क्षेत्र अराजकता का शिकार हो गया। ऐसी परिस्थितियों में गुजरात में मूलराज प्रथम (941-995 ई.) ने चालुक्य वंश की गुजरात शाखा की स्थापना की। उसने तत्कालीन राजनीतिक परिस्थितियों का लाभ उठाते हुए सरस्वती घाटी में एक राज्य की स्थापना की।

Friday, March 1, 2019

लोथल–खण्डहर गवाह हैंǃ

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नलसरोवर के चौराहे पर भटकते हुए पता चला कि लोथल जाने के लिए मुझे सबसे पहले बगोदरा जाना पड़ेगा और बगोदरा जाने के लिए कोई गाड़ी नहीं थी। किसी ने कहा कि छकड़े जाते हैं। नलसरोवर आने के बाद मैं सुबह से ही छकड़ों को देख रहा था लेकिन अब समय था तो एक छकड़े के पास जाकर खड़ा हो गया। ऐसी जुगाड़ वाली गाड़ियों को देखा तो बहुत है लेकिन "छकड़ा" नाम पहली बार सुन रहा था। बुलेट या फिर राजदूत बाइक के इंजन को रूपान्तरित कर,भारत में बहुतायत से उपयोग में लायी जाने वाली "जुगाड़ तकनीक" के प्रयाेग से,सामान ढोने की गाड़ी के रूप में बदल दिया गया था। अब इस गाड़ी पर सामान ढोइये या आदमी– क्या फर्क पड़ता है।
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