पाँचवां दिन–
कल शाम को हेमकुण्ड साहिब से घांघरिया लौटा तो मेरी किस्मत के सितारे जगमगा रहे थे। मौसम साफ हो चुका था। मैं मौसम साफ होने के लिए वाहे गुरू से अरदास करता रहा। क्योंकि फूलों की घाटी जाने का असली मजा तभी आता जब मौसम साफ हो। शाम तक आसमान अधिकांशतः नीला हो चुका था। छ्टिपुट बादल ही दिखायी पड़ रहे थे। आसमान साफ होने से ठण्ड भी हल्की सी बढ़ गयी थी। घांघरिया के नीले आसमान में चमकते सितारों को देखना काफी रोमांचक था।
कल शाम को हेमकुण्ड साहिब से घांघरिया लौटा तो मेरी किस्मत के सितारे जगमगा रहे थे। मौसम साफ हो चुका था। मैं मौसम साफ होने के लिए वाहे गुरू से अरदास करता रहा। क्योंकि फूलों की घाटी जाने का असली मजा तभी आता जब मौसम साफ हो। शाम तक आसमान अधिकांशतः नीला हो चुका था। छ्टिपुट बादल ही दिखायी पड़ रहे थे। आसमान साफ होने से ठण्ड भी हल्की सी बढ़ गयी थी। घांघरिया के नीले आसमान में चमकते सितारों को देखना काफी रोमांचक था।