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Friday, November 24, 2017

माता ने बुलाया हैǃ

माता ने बुलाया हैǃ
कहते हैं कि माता वैष्णो के यहाँ से बुलावा आता है,तभी आदमी वहाँ तक पहुँच पाता है। वैसे तो मन में आता है कि साल में कम से कम एक बार जरूर माता के दरबार में हाजिरी लगा लूँ लेकिन माता बुलाये तब तो। 2014 के जून महीने में माता के दरबार तक एक बार पहुँचा था लेकिन 2015 खाली–खाली ही बीत गया और माँ ने बुलावा नहीं भेजा। 2016 भी बीत गया और लगने लगा कि माँ कुछ नाराज है लेकिन 2017 में माँ ने बुलावा आखिर भेज ही दिया। समय का बहुत ही अभाव था लेकिन सितम्बर महीने के पहले सप्ताह में संयोग बन गया।

Friday, October 7, 2016

गुलमर्ग

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23 जून को हमें गुलमर्ग की तरफ जाना था। दरअसल ड्राइवर ने श्रीनगर से बाहर जाने के लिए हमारे सामने दो प्रस्ताव रखे थे– सोनमर्ग या गुलमर्ग। बर्फ पर उछलने–कूदने के लिए ये दोनों ही विकल्प ठीक थे। हमने गुलमर्ग को चुना। क्योंकि हम भी अपने तरीके से पता लगाने की कोशिश कर रहे थे कि अधिक बर्फ कहाँ मिलेगी। हमारे झुण्ड के 18 लोगों में से 2 की तबीयत कुछ नासाज हो गयी थी। कश्मीर आ कर किसी के साथ ऐसा कुछ हो तो बुरा तो लगता ही है। इस वजह वे से होटल में ही रूक गये। जिससे बस में जो एडजस्ट करने वाली समस्या थी,वह समाप्त हो गयी। श्रीनगर से तंगमर्ग होते हुए गुलमर्ग की दूरी 50 किमी है।

Friday, September 23, 2016

श्रीनगर

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वैष्णो देवी और शिवखोड़ी का दर्शन हमारा झुण्ड कर चुका था। वापसी में अभी समय था। तो कश्मीर का प्लान बन गया। हमारे इस झुण्ड में शामिल सारे के सारे लोग पहली ही बार कश्मीर जा रहे थे। किसी के लिए यह शुभ अवसर उसकी जवानी में ही मिल गया था,तो किसी के लिए बुढ़ौती में। ये और बात थी कि कश्मीर के नाम पर बूढ़ों का भी दिल जवान हो गया था। और जवान तो जैसे बच्चे बन गये थे। वैसे कश्मीर के नाम पर पैदा हुए उत्साह के साथ साथ कश्मीर के ही नाम पर पैदा होने वाला डर भी मन में समाया हुआ था। फिर भी जवानों के साथ जब बूढ़ों ने भी रिस्क ले ही लिया था तो डर की कोई खास वजह नहीं थी।

Friday, September 16, 2016

शिव खोड़ी

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19 जून की शाम को जब हम सोकर उठे तो वैष्णो देवी की चढ़ाई की थकान अभी पूरी तरह शरीर पर हावी थी। नींद पूरी न होने की खुमारी सिर पर सवार थी। फिर भी अगला कार्यक्रम बनाना था। यात्रा की यही तो खूबसूरती है। शिवखोड़ी का प्लान बन चुका था। तो शाम को टहलते हुए कटरा बस स्टैण्ड पहुँचे। बस स्टैण्ड के सामने स्थित मूनलाइट ट्रैवेल एजेंसी में 200 रूपये प्रति व्यक्ति की दर से बस में सीट बुक हुई और निश्चिन्त होकर हम लोग काफी देर तक सड़कें नापते रहे। अगले दिन अर्थात 20 जून की सुबह 9 बजे से बस कटरा से शिवखोड़ी के लिए रवाना होनी थी। सो हम काफी पहले बस में धरना दे चुके थे।

Friday, September 9, 2016

वैष्णो देवी दर्शन

यह 9 दिन लम्बी यात्रा थी,भारत के स्वर्ग कहे जाने वाले जम्मू और कश्मीर की। 17 जून 2014 से 25 जून 2014 तक। वैसे इस यात्रा का महत्व इस बात में नहीं था कि यह 9 दिन लम्बी थी वरन इसका महत्व इस बात को लेकर था कि इसमें 18 लोग शामिल थे। सभी अपने–अपने क्षेत्र के दिग्गज,प्रतिष्ठित विद्वान। और विद्वान होने का मतलब– "मुण्डे–मुण्डे मतिर्भिन्ना।" यात्रा का मुख्य उद्देश्य तो वैष्णो देवी का दर्शन था लेकिन लगे हाथ कश्मीर का दर्शन भी हो गया तो विद्वानों की राय में यात्रा सफल मानी जानी ही थी। तो सर्वप्रथम बेगमपुरा एक्सप्रेस से,वाराणसी से हमने 17 जून को 12.50 पर प्रस्थान किया और लगभग 24 घण्टे चलकर अगले दिन अर्थात 18 जून को दोपहर 12.10 बजे जम्मू पहुंचे। चूंकि हमारी संख्या 18 थी अतः वह सारी समस्याएं जो एक बड़े समूह को संयोजित करने में आ सकती थीं,आनी शुरू हो गयी थीं लेकिन इस तरह की यात्रा का भी एक अलग ही आनन्द था।
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