पोखरा अभी वालिंग से 2 घण्टे की दूरी पर था। शाम होने को आ रही थी सो हमने यहीं रूकने का फैसला किया। हमने वहीं खड़े–खड़े ही आस–पास नजर दौड़ाई तो सड़क के दोनों किनारों पर कुछ होटल दिखाई पड़े। कुछ देर तक हम दोनों तरफ के होटलों की ओर बारी–बारी से ललचाई निगाहों से देखते रहे,ताकि किसी हाेटल का कोई एजेण्ट हमारे पास आए और हम उससे मोल–भाव करने के साथ साथ कुछ जानकारी भी हासिल कर सकें। लेकिन हायǃ किसी ने इन अभागों को घास नहीं डाली। हार मानकर हम खुद ही एक होटल के दरवाजे तक पहुँचे।
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Friday, August 10, 2018
अनजानी राहों पर–वालिंग टु पोखरा (दूसरा भाग)
पोखरा अभी वालिंग से 2 घण्टे की दूरी पर था। शाम होने को आ रही थी सो हमने यहीं रूकने का फैसला किया। हमने वहीं खड़े–खड़े ही आस–पास नजर दौड़ाई तो सड़क के दोनों किनारों पर कुछ होटल दिखाई पड़े। कुछ देर तक हम दोनों तरफ के होटलों की ओर बारी–बारी से ललचाई निगाहों से देखते रहे,ताकि किसी हाेटल का कोई एजेण्ट हमारे पास आए और हम उससे मोल–भाव करने के साथ साथ कुछ जानकारी भी हासिल कर सकें। लेकिन हायǃ किसी ने इन अभागों को घास नहीं डाली। हार मानकर हम खुद ही एक होटल के दरवाजे तक पहुँचे।
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