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Friday, May 26, 2017

दार्जिलिंग–वज्रपात का शहर

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16 अप्रैल–
दार्जिलिंग–
या वज्रपात का शहर।
लघु हिमालय में स्थित इस पहाड़ी क्षेत्र को अंग्रेजों ने एक हिल स्टेशन के रूप में स्थापित किया। यह स्थान उनके लिए शारीरिक सुख के लिहाज से अनुकूल था। साथ ही सिक्किम की ओर जाने वाले मार्ग में पड़ने वाला दार्जिलिंग सामरिक दृष्टि से भी काफी महत्वपूर्ण था। इसी वजह से भारत के अन्य हिल स्टेशनों की तरह ही अंग्रेजों ने इसकी खोज की और इसे विकसित किया। ब्रिटिश ढाँचे में बनी इमारतें इसकी गवाह हैं। इन इमारतों के अलावा कुछ स्थानों केे नाम भी अंग्रेजों के प्रभाव को बखूबी बयां करते हैं। दार्जिलिंग से कलिम्पोंग की यात्रा में कुछ स्थानों के नाम हमें इस तरह मिले जैसे– सिक्स्थ माइल,टेन्थ माइल,इलेवेन्थ माइल (6th mile, 10th mile, 11th mile) जिनका मतलब हम समझ नहीं सके।

Friday, May 12, 2017

दार्जिलिंग हिमालयन रेल का सफर

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brajeshgovind.in
14 अप्रैल
आज हमारे लिए ऐतिहासिक दिन था क्योंकि हम दार्जिलिंग हिमालयन रेल या ट्वाय ट्रेन का सफर करने वाले थे जिसके लिए हमने लगभग 15 दिन पूर्व ही टिकट बुक कर रखा था। चूँकि हमारी ट्रेन का टाइम 9.40 पर था अतः उसके पहले हमने दार्जिलिंग के कुछ लोकल साइटसीन का प्लान बनाया जिसके लिए हमने कल बुकिंग की थी। इसके अनुसार आज सुबह का प्लान था– 3 प्वाइंट टूर। इसमें सम्मिलित थे– टाइगर हिल पर सूर्योदय,बतासिया लूप तथा घूम मोनेस्ट्री। टाइगर हिल पर सूर्योदय देखने के लिए आवश्यक था कि वहाँ लगभग 5 बजे तक पहुँच जाया जाय।

Friday, April 28, 2017

न्यू जलपाईगुड़ी से दार्जिलिंग की ओर

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12 अप्रैल
दोपहर के 12.25 बजे ट्रेन से उतरने के बाद हम न्यू जलपाईगुड़ी रेलवे स्टेशन से बाहर निकले। पसीने से भीगे कपड़ाें से लदा और रात भर की अनिद्रा व भागदौड़ से परेशान शरीर,परमतत्व की प्राप्ति जैसा अनुभव कर रहा था। बाहर रिक्शों और टैक्सियों की लाइन लगी थी। मानो हमसे यह पूछा जाने वाला था कि किस लोक में जाना है। पूछने की जरूरत ही नहीं थी। धड़ाधड़ ऑफर मिल रहे थे। हमारे चेहरे से ही जाहिर था कि हम किसी दूसरी दुनिया से आये हुए एलियन हैं। एक टैक्सी वाले ने अपना किराया बताया तो पांव तले की जमीन खिसक गई।
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