बराबर से गया की ओर जाने के लिए मुझे हाइवे पकड़ना था। पतली सड़कों से रास्ता पूछते हुए चलने में कोई बुद्धिमानी नहीं है। तो फिर से फल्गू नदी में उड़ती धूल को पार कर खिज्रसराय पहुँचा और वहाँ से फल्गू नदी के किनारे–किनारे गया की ओर। जेब के पैसे खत्म हो चुके थे तो मैंने खिज्रसराय में ही ए.टी.एम. की मदद ली। धूप ने पेट की भूख को भी समाप्त कर दिया था। तो खाने की कोई जरूरत नहीं थी। केवल पीते हुए ही चलना था। शाम के 4 बजे मैं गया रेलवे स्टेशन के पास पहुॅंच गया।