अाज अपने सपने को पूरा करने के लिए हम मुक्तिनाथ के रास्ते पर निकल रहे थे। तो फिर विचार यह था कि जितनी सुबह निकल लिया जाय उतना ही अच्छा। सुबह के समय अधिक दूरी तय कर लेंगे। लेकिन मौसम रात से ही अपनी वाली कर रहा था। हम अपनी वाली करने पर तुले थे। लेकिन प्रकृति के आगे कौन टिक सकता है। सुबह के समय बारिश कुछ तेज थी। तो हम अपनी तैयारियों में लगे थे कि बारिश बन्द होते ही निकल लेंगे। रात के समय होटल वालों ने बाइक को अन्दर कर दिया था। तो बारिश हल्की होते ही उसे बाहर निकाला गया। अब बारी थी बैगबन्धन की।