यह 9 दिन लम्बी यात्रा थी,भारत के स्वर्ग कहे जाने वाले जम्मू और कश्मीर की। 17 जून 2014 से 25 जून 2014 तक। वैसे इस यात्रा का महत्व इस बात में नहीं था कि यह 9 दिन लम्बी थी वरन इसका महत्व इस बात को लेकर था कि इसमें 18 लोग शामिल थे। सभी अपने–अपने क्षेत्र के दिग्गज,प्रतिष्ठित विद्वान। और विद्वान होने का मतलब– "मुण्डे–मुण्डे मतिर्भिन्ना।" यात्रा का मुख्य उद्देश्य तो वैष्णो देवी का दर्शन था लेकिन लगे हाथ कश्मीर का दर्शन भी हो गया तो विद्वानों की राय में यात्रा सफल मानी जानी ही थी। तो सर्वप्रथम बेगमपुरा एक्सप्रेस से,वाराणसी से हमने 17 जून को 12.50 पर प्रस्थान किया और लगभग 24 घण्टे चलकर अगले दिन अर्थात 18 जून को दोपहर 12.10 बजे जम्मू पहुंचे। चूंकि हमारी संख्या 18 थी अतः वह सारी समस्याएं जो एक बड़े समूह को संयोजित करने में आ सकती थीं,आनी शुरू हो गयी थीं लेकिन इस तरह की यात्रा का भी एक अलग ही आनन्द था।