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जैन मंदिर के पास से मुझे पता लगा कि बस स्टैण्ड पास में ही या लगभग एक किमी की दूरी पर है। लेकिन यह जूना बस स्टैण्ड है। नये बस स्टैण्ड जाने के लिए मुझे 50 का पहाड़ा पढ़ने वाले ऑटो वालों की ही सुनना था। 2.30 बजे तक मैं पाटन के नये बस स्टैण्ड में था। ऑटो वाले ने बताया कि बेचराजी रूट की कोई बस पकड़ लेंगे तो वह मोढेरा होकर ही जायेगी। मैं बस का इंतजार करने लगा। साथ ही दिमाग में यह भी बिठाने की कोशिश करने लगा कि बस के शीशे के पीछे गुजराती लिपि में बेचराजी किस तरह से लिखा होगा। बस सामने खड़ी हो तो इंतजार कुछ आसान लगता है।