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Friday, July 6, 2018

यही है जिंदगी

जीवन एक यात्रा है। अनवरत यात्रा। यह तभी रूकती है जब मृत्यु से साक्षात् होता है। मनुष्य की जिजीविषा मृत्यु जैसे शाश्वत सत्य को भी भुला देती है। मृत्यु की वास्तविकता को जानते हुए भी वह उससे पहले विराम लेने को तैयार नहीं होता। और मनुष्य का यही हठ जीवन के सौन्दर्य का सृजन करता है। अन्यथा मृत्यु का भय मृत्यु से पहले ही सृष्टि के सृजन को सीमित कर देता। मानव जीवन की इसी विशेषता में सृष्टि का गूढ़ रहस्य छिपा हुआ है और गहराई तक सोचने पर लगता है कि शायद यही है जिन्दगी

Friday, July 1, 2016

यही है जिंदगी

कभी कभी मेरे दिल में खयाल आता है,
क्या यही है जिन्दगी
जिसके बारे में हम कभी सोचते ही नहीं हैं।
सुबह होती है,शाम जाती है,जिन्दगी यूं ही तमाम होती है।
रोज की भागदौड़ में पता ही नहीं चलता कि कैसे मिनटों और घण्टों की शक्ल में पूरा दिन ही बीत गया।
दिन और हफ्तों की गिनती में महीने और साल बीत गये। साल दर साल बीतते गये। बचपन का वो सुनहरा दौर कैसे बीता,उसके बारे में तब सोचते हैं जब केवल सोच ही सकते हैं।
जब कुछ सोच कर करने का समय होता है, उस समय जवानी का  जोश इतना ज्यादा होता है कि उमर जोश को संभालने में ही बीत जाती है और कुछ समय बाद गुजरता समय बताता है कि अरे यार थोड़ा सा यहां चूक गये। ये बात समझने में थोड़ी सी चूक हो गयी,हमने ये क्यों नहीं सोचा ǃ
और फिर बाद में सोचते रह जाते हैं।
क्योंकि अब सोच ही सकते हैं।
करने को तो कुछ रह नहीं जाता,
और लगता है–
ʺक्या यही है जिन्दगीʺ
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