बालाजी या तिरूपति श्री वेंकटेश्वर भगवान का मन्दिर आन्ध्र प्रदेश के सुदूर दक्षिणी छोर पर बसे चित्तूर जिले के उत्तरी छोर पर अवस्थित है। तिरूपति कस्बे से सटे हुए,इसके ठीक उत्तर में पूरब से पश्चिम को फैली हुई पूर्वी घाट की पहाड़ियाँ नजर आती हैं। ये श्रृंखलाएं यहाँ से उत्तर की ओर बढ़ती जाती हैं। तिरूपति के उत्तर में सर्पाकार रूप में फैली इन पहाड़ियों के भाग को शेषाचल कहा जाता है जो आदिशेष या शेषनाग को प्रदर्शित करती हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार आदिशेष ने संसार को अपने हजारों फनों वाले शीर्ष पर धारण कर रखा है।
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Friday, April 5, 2019
Friday, March 29, 2019
बालाजी दर्शन
इस यात्रा के बारे में शुरू से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें–
हमारी यात्रा का अगला चरण था रात के 11.55 बजे चेन्नई सेंट्रल से मुम्बई मेल द्वारा तिरूपति के पास रेनीगुंटा पहुँचना। लेकिन उसके पहले एयरपोर्ट से चेन्नई सेंट्रल स्टेशन पहुँचकर पेट–पूजा करनी थी। क्योंकि जितनी देर प्लेन चलता रहा,हर समय मुँह चलाने वाली भेड़–बकरियों का मुँह बन्द ही रहा। तो अब हमने मेट्रो की सहायता ली और 70 रूपये का किराया चुकाकर चेन्नई एयरपोर्ट से चेन्नई सेंट्रल पहुँच गये। मेट्रो 7.50 पर हवाई अड्डे से चलकर 8.30 पर चेन्नई सेन्ट्रल पहुँची। मेट्रो ट्रेन भी हमारे स्वागत के लिए खुले दिल से तैयार बैठी थी क्योंकि इसकी दो तिहाई से भी अधिक सीटें खाली थीं।
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