पंचों,
इस समय खूब शादी विवाह हो रहा है। खूब गाजे–बाजे बज रहे हैं। धूम–धड़ाम हो रहा है। जमके लगन चल रही है। ऐसी ही एक लगन में एक दिन बुझावन मिल गये।
बोले– "क्यों सरपंच जी,आजकल तो खूब लगन का मौसम चल रहा है।"
हमने कहा– "हां भई लगन तो चल ही रही है लेकिन लगन का मौसम कैसा। मौसम तो तीने होते हैं– जाड़ा,गर्मी,बरसात। बचपन में मास्टर जी तो यही बताये थे।"
लेकिन बुझावन कहां मानने वाले थे। बोले– "नहीं भई,किसी टाइम पर काेई काम खूब जोर–शोर से होता है तो कहते हैं कि इस काम का मौसम आ गया है। तो लगन का भी मौसम चल रहा है इ तो मानना ही पड़ेगा।"
बोले– "क्यों सरपंच जी,आजकल तो खूब लगन का मौसम चल रहा है।"
हमने कहा– "हां भई लगन तो चल ही रही है लेकिन लगन का मौसम कैसा। मौसम तो तीने होते हैं– जाड़ा,गर्मी,बरसात। बचपन में मास्टर जी तो यही बताये थे।"
लेकिन बुझावन कहां मानने वाले थे। बोले– "नहीं भई,किसी टाइम पर काेई काम खूब जोर–शोर से होता है तो कहते हैं कि इस काम का मौसम आ गया है। तो लगन का भी मौसम चल रहा है इ तो मानना ही पड़ेगा।"
हमने समझाने की कोशिश की कि भइया अब इस उमर तक तो सुनते और पढ़ते आये हैं कि मौसम तीने होते हैं तो फिर ये चउथा मौसम कहां से आ खड़ा हुआ? हमारी सरकार भी तीने मौसम मानती है। बाकायदा इनके लिए मौसम विभाग बना हुआ है। इन मौसम के बारे में मौसम विभाग हर साल भविष्यवाणी करता है भले उ हर साल फेल हो जाय। इस साल भी विभाग वाले मानसून की भविष्यवाणी कर दिये हैं कि ई सामान्य रहेगा। भले ही सूखा पड़ जाय चाहे बाढ़ आ जाये।