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आज यात्रा का सर्वाधिक महत्वपूर्ण दिन था। यात्रा की कठिनाई का मुझे कुछ–कुछ आभास तो था लेकिन आज की यात्रा कितनी कठिन हो सकती है,इससे मैं बिल्कुल अंजान था। सामने दिख रही छोटी–छोटी चोटियों पर जमी बर्फ और ऊपर से गुनगुनी धूप,मुझे अलौकिकता का आभास दे रही थी। अपनी यात्रा का आधा से भी अधिक भाग सफलतापूर्वक पूरा कर लेने की वजह से मैं अत्यधिक रोमांचित था। स्पीति का यह वातावरण मुझे अच्छा लग रहा था। मैं महसूस कर रहा था कि वास्तव में यहाँ की जिन्दगी बहुत ही शांतिपूर्ण है। सुबह के 6 बजे लोसर का तापमान था–माइनस 1 डिग्री।