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देर रात तक पियक्कड़ों के प्रवचन सुनते रहने से नींद पूरी नहीं हुई थी। ऐसा इस यात्रा में पहली बार हुआ था। सुबह सिर भारी हो गया। मुझे लगा कि मैं शायद अपने क्षेत्र के कस्बों जैसे किसी कस्बे में आ गया था। काजा इस क्षेत्र के गाँवों से काफी कुछ अलग स्वभाव का है। फिर भी चलना तो था ही। सुबह उठकर पहला काम था बाइक चेक करना। आज इसने स्टार्ट होने में थोड़े से नखरे दिखाये,शायद कल की धुलाई में प्लग वगैरह में कहीं पानी प्रवेश कर गया था। चेन को टाइट करने के साथ साथ आयलिंग भी करनी थी। सुबह के 8 बजे मैं काजा से रवाना हो गया। आज का प्रारम्भिक लक्ष्य की मोनेस्ट्री और किब्बर गाँव होते हुए लोसर तक पहुँचना था।