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मनुष्य जीवन एक यात्रा है। यह यात्रा अनवरत चलती रहती है जब तक कि यात्रा का माध्यम अर्थात यह शरीर विराम न ले ले। यात्रा के अवरूद्ध होने का अर्थ होता है–मृत्यु। इस दीर्घ यात्रा के मध्य अनेक छोटी छोटी यात्राएं स्वचालित रूप से गतिमान होती रहती हैं। यात्रा आनन्द का सृजन करती है,अनुभव देती है,मेल–मिलाप कराती है,अनजानी संस्कृतियों के बारे में नजदीक से जानने का अवसर प्रदान करती है। स्थायित्व नीरसता उत्पन्न करता है। रूके हुए जल पर धूल की परत जम ही जाती है। मैंने भी अपनी जीवनयात्रा का एक छोटा सा अंश आज पूर्ण कर लिया था।