Friday, August 5, 2016

ओंकारेश्वर–महाकालेश्वर

मेरा यह यात्रा कार्यक्रम कुल छः दिनों का था। 15 अक्टूबर 2009 से 20 अक्टूबर 2009 तक। मेरे मित्र ईश्वर जी भी मेरे साथ थे। हमारा रिजर्वेशन कामायनी एक्सप्रेस,1072 अप में था जो वाराणसी से लाेकमान्य तिलक टर्मिनल को जाती है। वाराणसी से इसका प्रस्थान समय शाम 4 बजे था जबकि हम सुबह 10 बजे ही वाराणसी पहुंच गये थे। सो हमने सोचा कि समय का सदुपयोग कर लिया जाय। वाराणसी में बाबा विश्वनाथ का दर्शन करने से बड़ी चीज क्या हो सकती है इसलिए खाना वगैरह खाया और आराम से टहलते हुए पहुंच गये बाबा के दर पर। पर जब दर्शन की लम्बी लाइन और पण्डों की जोर जबरदस्ती देखी तो मन बिदक गया। डर यह भी था कि कहीं लाइन में बहुत ज्यादा समय लग गया तो ट्रेन छूट जायेगी। प्लान फेल हो गया। हार मानकर गंगा मैया की शरण ली। दशाश्वमेध घाट पर बैठ कर गंगा दर्शन का लाभ लिया और स्टेशन को वापस हो लिये।
ट्रेन समय से रवाना हुई और अगले दिन अर्थात 16 अक्टूबर को 40 मिनट विलम्ब से दोपहर बाद 1.30 बजे खण्डवा पहुंची। खण्डवा स्टेशन से बाहर निकलकर हमने ओंकारेश्वर की दूरी और साधनों के बारे में पूछताछ की और ओंकारेश्वर के लिए बस पकड़ लिया।
चूंकि कामायनी एक्सप्रेस कटनी से दमोंह,सागर,विदिशा,भोपाल एवं होशंगाबाद के रास्ते इटारसी पहुंचती है और फिर मुम्बई का मुख्य मार्ग पकड़ लेती है,भोपाल और होशंगाबाद स्टेशनों के मध्य प्रातः लगभग 9.30–10 बजे विन्ध्य श्रेणी के दर्शन हुए। बन्दे ने इसके पहले नजदीक से और बढ़िया से पहाड़ नहीं देखा था इसलिए मन बल्लियों उछलने लगा। साथ के मित्र ईश्वर जी बड़े दार्शनिक भाव से मुझे समझा रहे थे कि अरे मध्य प्रदेश में जहां भी घुस जाओ बस पहाड़ ही पहाड़ हैं। मैं उनके इस भौगोलिक ज्ञान पर मन ही मन हंस रहा था क्योंकि मैं भी भूगोल का ही विद्यार्थी था।
खैर,विन्ध्य श्रेणी हमें कटनी के आस–पास भी दिखी होती परन्तु उस समय रात होने के कारण यह सम्भव नहीं हो सका। मुख्य विन्ध्य श्रेणी बिहार के कैमूर से प्रारम्भ हाेकर उत्तर प्रदेश मिर्जापुर एवं सोनभद्र से होते हुए मध्य प्रदेश के रीवा, कटनी,जबलपुर,होशंगाबाद,पूर्वी व पश्चिमी निमाड़ जिलों से गुजरती हुई महाराष्ट्र की ओर चली जाती है। मुख्य श्रेणी से अनेक शाखाएं निकलकर इधर–उधर फैली हुई हैं।
खण्डवा से चलकर हमारी बस सनावद होते हुए ओंकारेश्वर पहुंची। सनावद,इन्दौर और उससे आगे उज्जैन तक जाने वाले मध्य प्रदेश के प्रान्तीय राजमार्ग संख्या 37 पर स्थित है। खण्डवा से सनावद की दूरी 60 किमी व इन्दौर की 130 किमी है। सनावद से ओंकारेश्वर की दूरी लगभग 15 किमी है। इस तरह खण्डवा से ओंकारेश्वर तक की 75 किमी की दूरी तय करने में बस को लगभग 2.30 घण्टे लगे। धरातल समतल न होने कारण सड़क लहरदार दिखाई देती है।
ओंकारेश्वर एक छोटा सा कस्बा है। यहां ओंकारेश्वर बांध बनने से विस्थापित लोगों के लिए ‘नर्मदा नगर‘ नामक शहर बसाया गया है। यहां एक छाेटा सा पुल पार करने पर,जो नर्मदा नदी पर बना है,ओंकारेश्वर मन्दिर पहुंचा जा सकता है। नर्मदा के बिल्कुल किनारे पर एक पहाड़ी पर ओंकारेश्वर शिवलिंग स्थापित है। पूछने पर ज्ञात हुआ कि यहां बना मन्दिर कुछ ही वर्ष पुराना है। यहां शिवलिंग के दर्शनार्थ अच्छी व्यवस्था है। पुजारी वगैरह हैं,परन्तु वाराणसी की तरह लूट–पाट नहीं है। ओंकारेश्वर मन्दिर जिस पहाड़ी पर है उस पर अन्य अनेक मन्दिर स्थापित हैं। भगवान शिव की एक 90 फुट उंची प्रतिमा खुले में स्थापित है। गौरी देवी एवं सोमनाथ के मन्दिर भी हैं। उपर्युक्त सभी मन्दिराें की परिक्रमा के लिए मार्ग बना हुआ है जिसकी लम्बाई 7  किमी है। इस पथ पर चल कर धार्मिक एवं प्राकृतिक दृश्यों का भरपूर आनन्द लिया जा सकता है।


सौराष्ट्रे सोमनाथं च श्रीशैले मल्लिकार्जुनम्। उज्जयिन्यां महाकालमोंकारे परमेश्वरम्।।
केदारं हिमवत्पृष्ठे डाकिन्यां भीमशंकरम्। वाराणस्यां च विश्वेशं त्र्यम्बकं गौतमीतटे।।
वैद्यनाथं चिताभूमौ नागेशं दारूकावने। सेतुबन्धे च रामेशं घुश्मेशं तु शिवालये।।
द्वादशैतानि नामानि प्रातरूत्थाय यः पठेत्। सर्वपापैर्विनिर्मुक्तः सर्वसिद्धिफलं लभेत्।।

उपर्युक्त श्लोक के अनुसार महाकालेश्वर तीसरा तथा ओंकारेश्वर चौथा ज्योतिर्लिंग है।
कुल मिलाकर ओंकारेश्वर एक दर्शनीय स्थल है,परन्तु पर्यटन की दृष्टि से इसका पूरा विकास अभी नहीं हुआ है। नर्मदा पुल पर खड़े होने पर नर्मदा नदी,पहाड़ियों,ओंकारेश्वर मन्दिर,ओंकारेश्वर बांध इत्यादि का दृश्य बहुत सुन्दर दिखाई देता है। ओंकारेश्वर मेरी हैसियत के हिसाब से,होटलों में रहने खाने के लिए सस्ती जगह लगी। दोनों टूरिस्ट बन्दे बेरोजगार थे अतः सस्ते के ही फेर में थे। यहां पचास रूपये में धर्मशालाएं एवं 100 से 250 के बीच में गेस्ट हाउस,लाज वगैरह उपलब्ध हैं। भोजनालय तो बहुत हैं परन्तु खाने वालों की संख्या व भोजन दोनों ही ठीक नहीं हैं। ओंकारेश्वर मन्दिर से लगभग 1 किमी की दूरी पर बस स्टैण्ड है जहां से खण्डवा व इन्दौर–उज्जैन के लिए बसें मिलती हैं। 16 अक्टूबर की शाम को व 17 की सुबह हमने ओंकारेश्वर दर्शन व भ्रमण का कार्य किया। मेरी तो इच्छा ओंकारेश्वर में ही एक दिन और रूककर पैदल घूमने की थी परन्तु साथ के मित्र ने मन्दिर में ही ध्यान लगा लिया तो बस सारा समय ही खत्म हो गया।
16  अक्टूबर को रात्रि में ओंकारेश्वर में रूकने के बाद 17 को दीपावली के दिन हमने बस द्वारा उज्जैन के लिए प्रस्थान किया। ओंकारेश्वर में बस स्टैण्ड से लेकर मन्दिर के बिल्कुल नजदीक तक रहने–खाने की व्यवस्था उपलब्ध है। ओंकारेश्वर से उज्जैन की कुल दूरी लगभग 130 किमी है। इस दूरी में ओंकारेश्वर से बड़वाह 15 किमी,बड़वाह से इन्दौर 60 किमी तथा इन्दौर से उज्जैन 55 किमी है। हमारी बस ओंकारेश्वर से 12 बजे चलकर 4.30 बजे उज्जैन पहुंची। वैसे तो पूरा मार्ग ही पहाड़ी है परन्तु बड़वाह से कुछ दूर आगे जाने पर सड़क मुख्य विन्ध्य श्रेणी को पार करती है। इस मार्ग से गुजरते हुए पर्वतीय मार्ग का भरपूर आनन्द लिया जा सकता है। उंचे पहाड़,घुमावदार मार्ग,छोटी–बड़ी नदियां,घाटियां,जंगल सभी कुछ हैं। इन्दौर से कुछ पहले से ही पहाड़ी दृश्य समाप्त हो जाते हैं। भूमि लहरदार हो जाती है यद्यपि समुद्रतल से उंचाई यहां भी काफी है।
उज्जैन एक धार्मिक नगरी है। यह ऐतिहासिक महत्व का भी नगर है। यद्यपि प्रामाणिक एेतिहासिक ध्वंसावशेष यहां संभवतः उपलब्ध नहीं हैं। खुदाई से प्राप्त अवशेष संग्रहालयों में रखे गये हैं। उज्जैन में भगवान शिव का महाकालेश्वर नाम से विख्यात ज्योतिर्लिंग स्थापित है,जिसका मन्दिर अत्यन्त ही भव्य एवं दर्शनीय है। दर्शन पूजन की व्यवस्था बहुत ही सुन्दर ढंग से की गयी है एवं सभी कार्य काउण्टर के माध्यम से एवं रसीद के साथ किये जाते हैं।
उज्जैन रेलवे स्टेशन के बगल में ही प्राइवेट बस स्टैण्ड भी है। इसके लगभग लम्बवत एक सड़क मार्ग से बिल्कुल सीधे चलते हुए लगभग बीस मिनट में पैदल महाकालेश्वर मन्दिर पहुंचा जा सकता है। टेम्पो भी चलते हैं। महाकालेश्वर मन्दिर के आस पास 100 से 200 रूपये की सीमा में कमरे आसानी से उपलब्ध हैं। अच्छा भोजन उज्जैन या मध्य प्रदेश के सम्भवतः किसी भी शहर में ज्यादा महंगा होगा। क्योंकि यहां गेहूं,चावल व सब्जियों की पैदावार बहुत अधिक नहीं होती । महाकालेश्वर ट्रस्ट की ओर से यात्रियों को पांच रूपये में भोजन करया जाता है।
उज्जैन शहर के भ्रमण के लिए ‘उज्जैन दर्शन‘ के नाम से टू सीटर बसें चलती हैं जिनका किराया 37 रूपये एवं भ्रमण समय लगभग साढ़े तीन से चार घण्टे है। इसमें सीटों की बुकिंग महाकालेश्वर मन्दिर के आस–पास स्थित काउण्टरों से एडवांस में या तुरन्त होती है। एडवांस बुकिंग ठीक रहती है। ये बसें सुबह 8.30 बजे,दोपहर 2.30 बजे एवं शाम 7 बजे रवाना होती हैं। बस में एक गाइड की व्यवस्था भी रहती है। यह बसें शहर के अन्दर एवं बाहर कुल 14 स्थानों का भ्रमण कराती हैं।
19 अक्टूबर को हमने वापसी की । चूंकि हमें ट्रेन में आरक्षण उज्जैन से नहीं मिल सका अतः हमें खण्डवा आना पड़ा। मध्य प्रदेश के रतलाम से महाराष्ट्र के अकोला के मध्य छोटी लाइन की फास्ट पैसेंजर रेलगाड़ियां चलती हैं जो उज्जैन,इंदौर,महू,खण्डवा होकर जाती हैं। हमारी ट्रेन उज्जैन से महू के लिए सुबह 6.15 पर रवाना हुई। यह दूरी 84 किमी है। यह दूरी तय करने में ट्रेन को लगभग 3 घण्टे लगे। यही ट्रेन पुनः महू से खण्डवा के लिए 12.20 पर रवाना हुई जिसका सही समय 11.45 था। यह दूरी तय करने में 3.30 घण्टे लगे। इस दौरान महू और बड़वाह स्टेशनों के मध्य ट्रेन मुख्य विंध्य श्रेणी को पार करती है। इस पहाड़ी मार्ग पर छोटी लाइन की पैसेंजर ट्रेन की यात्रा बहुत ही सुन्दर दृश्य उपस्थ्‍िात करती है। हमारी सम्पूर्ण यात्रा का सर्वाधिक आनन्ददायक हिस्सा भी यही रहा। विंध्य पर्वतमाला का सम्पूर्णरूप में यहां दर्शन हुआ। महू के कुछ दूर बाद से लेकर पहाड़ियों के बीच बसे एक छोटे से स्टेशन कालाकुंड तक लगभग 25 किमी की चौड़ाई में विंध्य श्रेणी स्थित है। वैसे तो पहाड़ियों व जंगलों का सिलसिला काफी आगे बड़वाह,सनावद व उससे भी कुछ आगे तक दिखाई देता है। अगर इसी रेलमार्ग पर खण्डवा से अकोला की ओर यात्रा की जाय तो सतपुड़ा श्रेणी को भी देखा जा सकता है।

खैर,हमें खण्डवा तक आना था और हम 4 बजे तक आ भी गये। हमारी ट्रेन ताप्ती गंगा एक्सप्रेस आधे घण्टे विलम्ब से 6.30 बजे शाम को आयी। छठ पूजा की वजह से भयंकर भीड़ थी। रिजर्वेशन होने के बावजूद भी अपनी सीट लेने में छक्के छूट गये। 20 अक्टूबर को ट्रेन ठीक समय पर वाराणसी पहुंची। वहां से बस द्वारा हम घर पहुंचे।

4 comments:

  1. aap to omkareshar aur mahakaleshaer ke darshan karke dhanya hu, hum bhi jane wale hai 12-15 august, aapke post se bahut madad mil jayegi

    ReplyDelete
  2. Indor se onkareswar ke liye train kaha tak hai

    ReplyDelete
    Replies
    1. इंदौर और ओमकारेश्वर के बीच मेरी जानकारी में कोई ट्रेन नहीं है।

      Delete

Top