Friday, March 27, 2020

भारत का अपवाह तंत्र–6

भारत की झीलें

प्राकृतिक रूप से निर्मित जलपूर्ण गर्त को झील कहते हैं। भारत में झीलों की संख्या अधिक नहीं है। भारत के हिमालयी क्षेत्र में अन्य पर्वतीय प्रदेशों के तुलना में कम झीलें पायी जाती हैं। झीलों का निर्माण अनेक कारणों से होता है। भारत की झीलें निम्न वर्गों में रखी जा सकती हैं–
1. विवर्तनिक झीलें– पृथ्वी के भीतर भूगर्भिक क्रियाएँ होने से भूपटल में भ्रंश या दरारें उत्पन्न हो जाती हैं और गर्ताें का निर्माण हो जाता है। इन गर्ताें में जल भर जाने पर विवर्तनिक झीलों का निर्माण होता है। उत्तराखण्ड के कुमाऊँ तथा कश्मीर में इस तरह की कई झीलें पायी जाती हैं। कश्मीर की वूलर तथा उत्तराखण्ड की नैनीताल,भीमताल,नौकुचियाताल ऐसी ही झीलें हैं।

Friday, March 20, 2020

भारत का अपवाह तंत्र–5

4. ब्रह्मपुत्र नदी क्रम–

ब्रह्मपुत्र नदी को ब्रह्मा का पुत्र कहा जाता है। यह गंगा में मिलने वाली नदियों में सबसे बड़ी नदी है। तिब्बत में इसे सांग्पो के नाम से जाना जाता है। दक्षिणी–पश्चिमी तिब्बत में मानसरोवर झील और कैलाश पर्वत के पूर्व में इसका उद्गम होता है तथा दक्षिण तिब्बत में पश्चिम से पूर्व की 1290 किलोमीटर प्रवाहित होने के बाद यह असम हिमालय को पार करती है। नमचा बरवा पर्वत शिखर के निकट दक्षिण की ओर मुड़कर यह अरूणाचल प्रदेश में प्रवेश करती है। ब्रह्मपुत्र जिस स्थान पर हिमालय को काटती है वहाँ इसे दिहांग कहते हैं। यहाँ से आगे यह पश्चिम की ओर असम घाटी में बहती हुई बांग्लादेश में प्रवेश कर जाती है। मेघालय पठार के कारण यह दक्षिण की ओर घूमकर बांग्लादेश में प्रवेश करती है।

Friday, March 13, 2020

भारत का अपवाह तंत्र–4

3. प्रायद्वीपीय भारत की नदियाँ

प्रायद्वीपीय भारत की नदियाँ उत्तर भारत की अपेक्षा छोटी हैं तथा संख्या में कम हैं। नदियों में पानी की मात्रा भी वर्षा पर निर्भर करती है। वर्षा के दिनों में इन नदियों में पानी अधिक रहता है जबकि शुष्क दिनों में पानी काफी कम हो जाता है। प्रायद्वीपीय भारत का धरातल पठारी व चट्टानी है,इसलिए नदियों का पानी सोखता नहीं है और थोड़ी सी भी वर्षा होने पर पानी की मात्रा बढ़ जाती है और कभी कभी अचानक बाढ़ भी आ जाती है। ये नदियाँ कम गहरी हैं,इसलिए नाव्य भी नहीं हैं। इन नदियों की घाटियाँ चौड़ी हैं और इनकी अपरदन की शक्ति समाप्तप्राय हो चुकी है। यहाँ की अधिकांश नदियाँ बंगाल की खाड़ी में गिरती हैं,कुछ अरब सागर और कुछ उत्तरी विशाल मैदान की ओर बहते हुए गंगा और उसकी सहायक नदियों में मिल जाती हैं। कुछ नदियाँ अरावली की पहाड़ियों और मध्यवर्ती पहाड़ी प्रदेश से निकलकर कच्छ के रन अथवा खम्भात की खाड़ी में गिर जाती हैं।

Friday, March 6, 2020

भारत का अपवाह तंत्र-3

 
2. गंगा नदी तंत्र–

गंगा नदी तंत्र भारत सबसे बड़ा नदी तंत्र है। यह देश के लगभग एक–चौथाई भाग को जल प्रदान करता है। यहाँ भारत की लगभग 40 प्रतिशत जनसंख्या निवास करती है। इस नदी तंत्र का निर्माण हिमालय तथा प्रायद्वीपीय उच्च भागों से निकलने वाली नदियों के मिलने से होता है।

गंगा नदी– गंगा का उद्गम उत्तराखण्ड के उत्तरकाशी जिले में माणा दर्रे के निकट गोमुख हिमनद (4023 मीटर) से होता है। यहाँ इसका नाम भागीरथी है जो महान हिमालय और मध्य हिमालय में संकीर्ण महाखड्डों (गार्ज) का निर्माण करते हुए आगे बढ़ती है। देवप्रयाग में सतोपंथ हिमनद से निकलने वाली अलकनंदा से इसका संगम होता है और यहीं से इसका नाम गंगा हो जाता है।
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